सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "पद नामों एवं पहचान के सम्बन्ध में" (भाग दो)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "यीशु ने परमेश्वर के आत्मा का प्रतिनिधित्व किया था, और वह परमेश्वर का आत्मा था जो सीधे तौर पर कार्य कर रहा था। उसने नये युग का कार्य किया था, ऐसा कार्य जिसे पहले कभी किसी ने नहीं किया था। उसने एक नया मार्ग खोला था, उसने यहोवा का प्रतिनिधित्व किया था, और उसने स्वयं परमेश्वर का प्रतिनिधित्व किया था। जबकि पतरस, पौलुस और दाऊद, इसके बावजूद कि उन्हें क्या कहकर पुकारा जाता था, उन्होंने केवल परमेश्वर के एक प्राणी की पहचान का प्रतिनिधित्व किया था, या उन्हें सिर्फ यीशु या यहोवा के द्वारा भेजा गया था। अतः इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उन्होंने कितना अधिक कार्य किया था, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उन्होंने कितने बड़े बड़े चमत्कार किये थे, क्योंकि वे अभी भी बस परमेश्वर के प्राणी ही थे, और परमेश्वर के आत्मा का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ थे। उन्होंने परमेश्वर के नाम में या परमेश्वर के द्वारा भेजे जाने के बाद ही कार्य किया था; इससे बढ़कर, उन्होंने उन युगों में कार्य किया था जिन्हें यीशु या यहोवा के द्वारा शुरू किया गया था, और वह कार्य अलग नहीं था जो उन्होंने किया था। आख़िरकार, वे महज परमेश्वर के प्राणी ही थे।"
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