परमेश्वर के वचन के भजन

एक दिन तुम्हें लगेगा, परमेश्वर पहेली नहीं है, वो कभी छुपा नहीं है, ना कभी तुमसे अपना चेहरा छुपाया है, वो तुमसे बिल्कुल दूर नहीं है।
परमेश्वर को जानना हमारे अनुभव और कल्पना पर निर्भर नहीं है, निर्भर नहीं है। उसे परमेश्वर पर, थोपने की जुर्रत ना करना, ना करना।
देहधारी परमेश्वर में होगा, परमेश्वर का सार और अभिव्यक्ति। जब देह बना है वो, तो काम करेगा जो उसे दिया गया है, प्रकट करेगा जो वो है, देगा सच्चाई और जीवन इंसानों को, और दिखाएगा राह उनको।
परमेश्वर रहता है हमारे बीच जैसे हो कोई साधारण मानव, जैसे हो अनुयायियों का एक सबसे महत्वहीन सदस्य, जैसे कोई एक साधारण विश्वासी। उसका है अपना स्वंय का काम, और उसके अपने लक्ष्य। और उसके पास है दिव्यता जो किसी मनुष्य के पास नहीं, पास नहीं।
परमेश्वर ने रची दुनिया और ये मानवता। वह था पुरानी यूनानी और इंसानी सभ्यता का रचयिता। केवल परमेश्वर देता इंसान को दिलासा।
पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को, क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की, इसमें न उसका स्वार्थ था, न योजना थी।
परमेश्वर चाहे जब सामना हो परमेश्वर के वचन से और काम से, तो ज़्यादा लोग पड़ताल करें उसकी पूरे ध्यान से, और इन अहम वचनों को देखें पवित्र हृदय से।
परमेश्वर चाहे जब सामना हो परमेश्वर के वचन से और काम से, तो ज़्यादा लोग पड़ताल करें उसकी पूरे ध्यान से, और इन अहम वचनों को देखें पवित्र हृदय से।
प्रार्थनाएँ वह मार्ग होती हैं जो जोड़ें मानव को परमेश्वर से, जिससे वह पुकारे पवित्र आत्मा को और प्राप्त करे स्पर्श परमेश्वर का।
वो खोल देता है अपना पूर्ण स्वभाव मानव जाति के सामने, ताकि जो जानते हैं परमेश्वर को और जो नहीं जानते हैं उसे, वे सभी अपनी आँखों से देखेंगे कि सच में आया परमेश्वर इंसान के बीच, उस पृथ्वी पर जहां सब कुछ है उगता।

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