परमेश्वर का वचन · 22. January 2020
बाइबल के हितों की सुरक्षा करने, और बाइबल की मर्यादा को बनाये रखने, और बाइबल की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए, वे यहाँ तक गिर गए कि उन्होंने दयालु यीशु को भी क्रूस पर चढ़ा दिया। यह उन्होंने सिर्फ़ बाइबल की रक्षा करने के लिए, और लोगों के हृदय में बाइबल के हर एक वचन के स्तर को बनाये रखने के लिए ही किया। इस प्रकार उन्होंने यीशु को, जिसने पवित्रशास्त्र के सिद्धान्त का पालन नहीं किया, मृत्यु दंड देने के लिये अपने भविष्य और पापबलि को त्यागना बेहतर समझा। क्या वे पवित्रशास्त्र के हर एक वचन के नौकर नहीं थे?
परमेश्वर का वचन · 21. January 2020
क्या तुम यीशु को देखना चाहते हो? क्या तुम यीशु के साथ रहना चाहते हो? क्या तुम यीशु के द्धारा कहे गए वचनों को सुनना चाहते हो? यदि ऐसा है, तो तुम यीशु के लौटने का कैसे स्वागत करोगे? क्या तुम पूरी तरह से तैयार हो? किस ढंग से तुम यीशु के लौटने का स्वागत करोगे?
परमेश्वर का वचन · 04. January 2020
परमेश्वर की व्याख्या करने के लिए तुम कैसे योग्य हो? तुम्हारे स्पष्टीकरण का आधार क्या है? क्या तुम परमेश्वर हो? स्वर्ग और पृथ्वी, और इसमें सब कुछ स्वयं परमेश्वर द्वारा बनाई गई थी। यह तुम नहीं थे, जिसने यह किया था, तो तुम गलत स्पष्टीकरण क्यों दे रहे हो? अब, क्या तुम त्रित्व में विश्वास करते रहोगे? क्या तुम्हें नहीं लगता कि यह बहुत भारी है? यह तुम्हारे लिए सबसे अच्छा होगा कि तुम एक परमेश्वर में विश्वास करो, न कि तीन में।
परमेश्वर का वचन · 03. January 2020
जो लोग परमेश्वर के कार्य को नहीं जानते हैं वे उसके अंतरंग होने या उसकी गवाही देने में असमर्थ हैं। मैं उन लोगों को यथाशीघ्र सत्य की खोज करने की सलाह देता हूँ जो केवल आशीषों की तलाश करते हैं और केवल उसकी खोज करते हैं जो कि अज्ञात और अमूर्त है, ताकि उनके जीवन में कोई महत्व हो सके। अपने आप को अब और मूर्ख मत बनाओ!
परमेश्वर का वचन · 02. January 2020
मनुष्य न तो परमेश्वर के कार्य का सावधानीपूर्वक अध्ययन करता है और न ही इसे विनम्रता से स्वीकार करता है; बल्कि मनुष्य परमेश्वर से प्रकाशन और मार्गदर्शन का इंतजार करते हुए, तिरस्कार का दृष्टिकोण अपनाता है। क्या यह मनुष्य का व्यवहार नहीं है जो परमेश्वर का विरोध करता है और उसका विरोधी है? इस प्रकार के मनुष्य कैसे परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं?
परमेश्वर का वचन · 29. December 2019
यदि आप यह मानते हैं कि परमेश्वर बड़ी संख्या में लोगों से, संसार के सभी लोगों से बात कर रहा है, तो आपके जीवन पर परमेश्वर के वचन का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिए, आप को इन सभी वचनों को अपने हृदय के करीब रखना चाहिए, और अपने आप को उनके प्रभाव से बाहर नहीं रखें। बहरहाल, आइए हमारे घर में क्या हो रहा है उस पर बात करें।
परमेश्वर का वचन · 23. December 2019
मानवजाति के प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं। संसार की रचना करने का कार्य, सम्पूर्ण मानवजाति को उत्पन्न करने का कार्य था।
परमेश्वर का वचन · 22. December 2019
वह कार्य जो यहोवा ने इस्राएलियों पर किया, उसने मानवजाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया जो कि वह पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों तक ही सीमित रखा। आरम्भ में, उसने इस्राएल के बाहर कार्य नहीं किया; उसके बजाए, उसने ऐसे लोगों को चुना जिन्हें उसने अपने कार्यक्षेत्र को सीमित रखने के लिए उचित पाया। इस्राएल वह जगह है जहाँ परमेश्वर ने आदम और हव्वा की रचना की, और उस जगह की धूल से यहोवा ने मनुष्य को बनाया;
परमेश्वर का वचन · 21. December 2019
विश्व भर में, वे सभी जो उद्धारकर्त्ता यीशु के उद्धार को जानते हैं वे सभी यीशु मसीह की अचानक वापसी के लिए बहुत ज़्यादा लालायित रहे हैं, ताकि पृथ्वी पर यीशु के वचन पूरे हों: "मैं जैसे गया था वैसे ही मैं वापस आऊँगा।"
परमेश्वर का वचन · 18. December 2019
जिस क्षण से तुम रोते हुए इस दुनिया में आए हो, तब से तुम अपना कर्तव्य करना शुरू करते हो। परमेश्वर की योजना और उसके विधान में अपनी भूमिका ग्रहण करके, तुम जीवन में अपनी यात्रा शुरू करते हो। तुम्हारी पृष्ठभूमि जो भी हो और तुम्हारी आगे की यात्रा जो भी हो, कोई भी उस योजना और व्यवस्था से बच कर भाग नहीं सकता है जो स्वर्ग ने बनायी हैं, और किसी का भी अपनी नियति पर नियंत्रण नहीं है, क्योंकि केवल वही जो सभी चीजों पर शासन करता है ऐसा कार्य करने में सक्षम है।