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धर्मी सूरज जिस तरह उगता है, अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर पूरब में, उसी तरह प्रकट हुआ है; इंसान ने देखी है सच्ची रोशनी उभरते हुए। धर्मी और प्रतापी, प्रेमी और दयालु परमेश्वर दीनता से छिपकर इंसानों के बीच, सत्य प्रसारित कर रहा, बोल रहा और काम कर रहा है।
परमेश्वर के प्रकटन के मायने हैं, अपने काम की ख़ातिर धरती पर उसका निजी आगमन। वो अपनी पहचान, अपने स्वभाव, अपने तरीके से, युग शुरु करने, युग का अंत करने, इंसानों के बीच आता है।