Posts tagged with "परमेश्वर के शासन"
उत्पत्ति 17:15-17 फिर परमेश्वर ने अब्राहम से कहा, "तेरी जो पत्नी सारै है, उसको तू अब सारै न कहना, उसका नाम सारा होगा। मैं उसको आशीष दूँगा, और तुझ को उसके द्वारा एक पुत्र दूँगा; और मैं उसको ऐसी आशीष दूँगा कि वह जाति जाति की मूलमाता हो जाएगी; और उसके वंश में राज्य-राज्य के राजा उत्पन्न होंगे।"
परमेश्वर ने रची दुनिया और ये मानवता।
वह था पुरानी यूनानी और इंसानी सभ्यता का रचयिता।
केवल परमेश्वर देता इंसान को दिलासा।
Accompanied by birds’ lively chirp, the branches grow green new buds - The footstep of Spring is coming near. The nature is thriving, four seasons change, days and nights alternate, humanity lives and reproduces, etc. All the laws and rules of existence can’t depart from God’s sovereignty and His arrangement. Then how does God preside over all these things? Let’s watch the video of reading of God’s words, God Is the Source of Man’s Life.
उत्पत्ति 6:9-14 नूह की वंशावली यह है। नूह धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था; और नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा।
यीशु मसीह को जानना · 26. January 2020
यद्यपि, सतही तौर पर, यह पवित्र आत्मा द्वारा गर्भधारण से भिन्न प्रतीत होता है, किन्तु, इस कार्य में तुम लोग और अधिक स्पष्टता से देखने में सक्षम होते हो कि पवित्रात्मा पहले से ही देह में प्रत्यक्ष हो गया है, और, इसके अतिरिक्त, वचन देह बन गया है, और वचन देह में प्रकट हो गया है, और तुम इन वचनों के वास्तविक अर्थ को समझने में सक्षम हो: आरंभ में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।
गवाहियाँ · 14. January 2020
जीवन में सबसे क़ीमती चीज धन या कोई भौतिक वस्तु नहीं है। बल्कि वो यह है कि हम परमेश्वर के सामने आ सकें और उसके उद्धार को स्वीकार करें, सत्य की खोज करें, सभी बातों में उसके वचनों के अनुसार कार्य करें, परमेश्वर पर भरोसा रखकर हम प्रतिदिन की परिस्थितियों का सामना करें, हमारे काम में विभिन्न कठिनाइयों का सामना करते समय परमेश्वर के वचनों पर भरोसा करें और परमेश्वर की संप्रभुता और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण करें।
परमेश्वर का वचन · 18. December 2019
जिस क्षण से तुम रोते हुए इस दुनिया में आए हो, तब से तुम अपना कर्तव्य करना शुरू करते हो। परमेश्वर की योजना और उसके विधान में अपनी भूमिका ग्रहण करके, तुम जीवन में अपनी यात्रा शुरू करते हो। तुम्हारी पृष्ठभूमि जो भी हो और तुम्हारी आगे की यात्रा जो भी हो, कोई भी उस योजना और व्यवस्था से बच कर भाग नहीं सकता है जो स्वर्ग ने बनायी हैं, और किसी का भी अपनी नियति पर नियंत्रण नहीं है, क्योंकि केवल वही जो सभी चीजों पर शासन करता है ऐसा कार्य करने में सक्षम है।