Posts tagged with "परमेश्वर की आराधना"



प्रभु यीशु ने कहा, "मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है" (मत्ती 4:17)।
प्रार्थना · 05. March 2020
सच्चाई के साथ प्रार्थना करने का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है अपने हृदय में शब्दों को कहना, और परमेश्वर की इच्छा को समझकर और उसके वचनों पर आधारित होकर परमेश्वर के साथ वार्तालाप करना;
ईसाई भजन · 23. February 2020
हम भाग्‍यशाली हैं कि हम परमेश्वर के आगमन के साक्षी हैं, हम उसकी वाणी सुनते हैं।
परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए, हमें अपने पापी स्वभाव को जानने के लिए अंतिम दिनों में लौटे हुए प्रभु यीशु द्वारा किए गए निर्णय कार्य को स्वीकार करना चाहिए, ताकि हम वास्तव में स्वयं से घृणा कर सकें। और फिर हम अपने शरीर को परमेश्वर के शब्दों, परमेश्वर की आज्ञा मानने और पूजा करने के लिए त्याग सकते हैं। केवल ऐसा करने से ही हमारा दूषित स्वभाव हल हो सकता है और हम परमेश्वर के द्वारा शुद्ध हो सकते हैं और बच सकते हैं।
बाइबल के हितों की सुरक्षा करने, और बाइबल की मर्यादा को बनाये रखने, और बाइबल की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए, वे यहाँ तक गिर गए कि उन्होंने दयालु यीशु को भी क्रूस पर चढ़ा दिया। यह उन्होंने सिर्फ़ बाइबल की रक्षा करने के लिए, और लोगों के हृदय में बाइबल के हर एक वचन के स्तर को बनाये रखने के लिए ही किया। इस प्रकार उन्होंने यीशु को, जिसने पवित्रशास्त्र के सिद्धान्त का पालन नहीं किया, मृत्यु दंड देने के लिये अपने भविष्य और पापबलि को त्यागना बेहतर समझा। क्या वे पवित्रशास्त्र के हर एक वचन के नौकर नहीं थे?
शैतान ने मुझे एक जंजीर से बाँध रखा था, एक खालीपन था जो पलक झपकते ही चला गया था। मेरे पास जो समय बचा था उस समय में मैंने सोचा कि मैं अपने आप को अब और शैतान के कपटी षड्यंत्रों में पड़ने नहीं दूँगा। मुझे परमेश्वर के द्वारा बनाया गया है और मुझे परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए और परमेश्वर का आज्ञापालन करना चाहिए और परमेश्वर के प्रभुत्व और मार्गदर्शन में जीवन जीना चाहिए मात्र वही वास्तविक भविष्य और सच्चे मूल्य वाला जीवन है।