Posts tagged with "परमेश्वर का नाम"



मूवी क्लिप · 09. March 2020
धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स अक्सर विश्वासियों को यह उपदेश देते हैं कि प्रभु यीशु को हर किसी के पापों के लिए सूली पर चढ़ा दिया गया था और मनुष्य को पापों से छुटकारा मिल चुका है।
मूवी क्लिप · 08. March 2020
परमेश्वर को मानवजाति को शुद्ध करने और उसे बचाने के लिए अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने की क्या आवश्यकता है?
मूवी क्लिप · 07. March 2020
यहोवा परमेश्वर ने कहा था, "मुझ से पहले कोई परमेश्‍वर न हुआ और न मेरे बाद कोई होगा। मैं ही यहोवा हूँ और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं" (यशायाह 43:10-11)। (© BSI)
पवित्रशास्त्र में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि यहोवा का नाम हमेशा के लिए है, और फिर भी नया नियम यह कहता है कि परमेश्वर का नाम बदलकर यीशु हो गया है, जैसा कि लिखा है, "यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एक–सा है" (इब्रानियों 13:8)। परमेश्वर का नाम क्यों बदलता है? इसके पीछे क्या रहस्य है?
मनुष्य न तो परमेश्वर के कार्य का सावधानीपूर्वक अध्ययन करता है और न ही इसे विनम्रता से स्वीकार करता है; बल्कि मनुष्य परमेश्वर से प्रकाशन और मार्गदर्शन का इंतजार करते हुए, तिरस्कार का दृष्टिकोण अपनाता है। क्या यह मनुष्य का व्यवहार नहीं है जो परमेश्वर का विरोध करता है और उसका विरोधी है? इस प्रकार के मनुष्य कैसे परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं?
मानवजाति के प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं। संसार की रचना करने का कार्य, सम्पूर्ण मानवजाति को उत्पन्न करने का कार्य था।
विश्व भर में, वे सभी जो उद्धारकर्त्ता यीशु के उद्धार को जानते हैं वे सभी यीशु मसीह की अचानक वापसी के लिए बहुत ज़्यादा लालायित रहे हैं, ताकि पृथ्वी पर यीशु के वचन पूरे हों: "मैं जैसे गया था वैसे ही मैं वापस आऊँगा।"
पुराने नियम में यह कहा जाता है कि केवल यहोवा ही परमेश्वर का नाम है और वह सदा के लिए ऐसा ही रहेगाI हालांकि, नये नियम में यह कहा जाता है कि किसी को भी केवल यीशु के नाम से ही बचाया जा सकता हैI चूँकि व्यवस्था के युग में परमेश्वर का नाम हमेशा के लिए यहोवा रहना था, तो अनुग्रह के युग में परमेश्वर को यीशु क्यों कहा गया? हम बाइबल में उल्लिखित शब्द "युगानुयुग" को कैसे समझ सकते हैं? परमेश्वर के नामों के पीछे कौन से सत्य और रहस्य छिपे हैं?