विभिन्न आपदाओं के आने पर आपदाओं से पहले हमारा स्वर्गारोहण कैसे हो सकता है?

बैकी, यू.एस.

 

2019 के अंत में चीन के वुहान में कोरोना वायरस संक्रमण फैला। अब, कोरोना वायरस दुनिया भर के कई देशों और क्षेत्रों में फैल गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की कि यह अंतरराष्ट्रीय चिंता की सार्वजनिक स्वास्थ्य की आपातकालीन स्थिति थी। ऑस्ट्रेलिया में अप्रत्याशित झाड़ियों की आग भी व्यापक चिंता का कारण बनी है। इसके अलावा 2020 में, पूर्वी अफ्रीका में 25 वर्षों में रेगिस्तानी टिड्डियों के सबसे बड़े हमले का सामना किया। नतीजतन, कई अफ्रीकी देशों में अब गंभीर खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है। दक्षिण-पूर्व ब्राज़ील ने 100 साल की सबसे भीषण मूसलाधार बारिश को झेला और अनगिनत घर नष्ट हो गए। … अब दुनिया भर में, विपत्तियां, आग, टिड्डियों का हमला, बाढ़ और अन्य आपदाएं बढ़ती ही जा रही हैं। इसके अलावा, चार रक्त चंद्रमा अब देखे जा चुके हैं। इन सभी संकेतों से यह लगता है कि प्रभु यीशु की वापसी की भविष्यवाणी सच हो गई है, जिसकी भविष्यवाणी प्रभु यीशु ने अपने आने के संकेतों के बारे में की है: "'जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा। और बड़े-बड़े भूकम्प होंगे, और जगह-जगह अकाल और महामारियाँ पड़ेंगी, और आकाश में भयंकर बातें और बड़े-बड़े चिन्ह प्रगट होंगे'" (लूका 21:10-11)।

 

कई भाई-बहनें बहुत चिंतित और भ्रमित हैं: अब जब आपदाएँ इतनी बढ़ गईं हैं और प्रभु की वापसी की भविष्यवाणी सच हो गई है, तो आपदाओं से पहले हमें हवा में क्यों नहीं निकाला गया है? यहोवा वफादार है और आखिरी दिनों में हमें लेने के अपने वादे को पूरा करेगा। तो आपदाओं से पहले हमारा स्वर्गारोहण क्यों नहीं हुआ, जैसा उनका वचन था? क्या हमने स्वर्गारोहण के बारे में कुछ ग़लत समझ लिया है? इस समस्या के बारे में, चलो आज एक साथ मिलकर चर्चा करते हैं।

 

क्या स्वर्गारोहण का मतलब वास्तव में स्वर्ग में जाना होता है?

 

1 थिस्सलुनीकियों 4:17 के अनुसार, हमें आपदाओं से पहले स्वर्गारोहण और प्रभु के लौटने पर उनसे मिलने की उम्मीद होती है, "तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएँगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।" असल में, यह छंद हम पॉल के वचन के रूप में मानते हैं, न कि प्रभु यीशु के वचनों के रूप में। हालाँकि पॉल के वचन बाइबिल में दर्ज किए गए थे, लेकिन वह केवल एक ईश्वर दूत थे। उनके कुछ वचन पवित्र आत्मा के ज्ञान से प्रेरित थे, लेकिन कुछ उनकी धारणाएं और कल्पनाएं थीं, जिनका सत्य के साथ मेल नहीं था। इसलिए, प्रभु की वापसी का स्वागत करने में, हमें प्रभु यीशु के वचनों को मानक के रूप में लेना चाहिए, और केवल यह प्रभु की इच्छा के अनुरूप है।

 

 

क्या स्वर्गारोहण का मतलब वास्तव में स्वर्ग में जाना होता है? प्रभु ने हमें प्रभु की प्रार्थना में सिखाया है: "'हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में हैं; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो'" (मत्ती 6:9-10)। प्रभु ने हमें स्पष्ट रूप से बताया कि अंतिम दिनों में परमेश्वर पृथ्वी पर अपना राज्य स्थापित करेंगे और पृथ्वी पर उनकी इच्छा चलेगी। प्रकाशन 21:2-3 में इसकी भविष्यवाणी की गई है: "फिर मैंने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते देखा, … फिर मैंने सिंहासन में से किसी को ऊँचे शब्द से यह कहते हुए सुना, 'देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा; और उनका परमेश्‍वर होगा।'" प्रकाशन 11:15 में यह भी भविष्यवाणी की गई है: "'जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया और वह युगानुयुग राज्य करेगा।'" इन भविष्यवाणियों में उल्लेख है "स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते देखा," "परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है," "जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया," और वे सभी यह साबित करते हैं कि परमेश्वर अंतिम दिनों में पृथ्वी पर पुरुषों के साथ रहेंगे और वह पृथ्वी पर अपना राज्य स्थापित करेंगे। लेकिन कई लोग मानते हैं कि जब परमेश्वर वापस लौटेंगे तो वे प्रभु से मिलने के लिए हवा में विलीन हो जाएंगे। क्या यह उनकी धारणा और कल्पना नहीं है? परमेश्वर ने पृथ्वी पर अपना राज्य स्थापित करने की योजना बनाई है, लेकिन वे हमेशा हवा में विलीन होकर रहने की इच्छा रखते हैं। क्या यह परमेश्वर के विपरीत जाना नहीं है?

 

असल में, हम इसका पता परमेश्वर के कार्य के तथ्य से लगा सकते हैं। जैसे जब परमेश्वर ने पहली बार मनुष्य का निर्माण किया था, उन्होंने मनुष्य को जमीन की धूल का बनाया, और आदम व हव्वा को अपनी पूजा करने और पृथ्वी पर सभी चीजों का प्रबंधन करने का कार्य दिया। नोअ के युग में, परमेश्वर ने नोअ और उनके परिवार को बाढ़ से बचाने के लिए हवा में विलीन नहीं किया, बल्कि नोअ को पृथ्वी पर एक सन्दूक बनाने का आदेश दिया। यह भी पृथ्वी पर हुआ कि नोअ का परिवार बाढ़ के बाद जीवित बचा और कई गुना बड़ गया। व्यवस्था का युग के अंतिम दौर में, जब लोगों को कानूनों का उल्लंघन करने के लिए फांसी का खतरा था, तो परमेश्वर ने उन्हें पाप की सजा देने के लिए हवा में विलीन नहीं किया। इसके बजाय, परमेश्वर व्यक्तिगत रूप से नश्वर बने, और मनुष्यों को पापों से छुड़ाने के लिए व्यावहारिक रूप से खुद सूली पर चड़ गए। परमेश्वर के कार्य के तथ्य से, हम देखते हैं कि परमेश्वर हमेशा लोगों को बचाने और उन्हें परमेश्वर की पूजा करने के लिए जीवित रखने का काम करते आ रहे हैं, और उन्होंने कभी किसी को हवा में विलीन नहीं किया है। इसलिए, स्वर्गारोहण होने की हमारी आशा परमेश्वर के कार्य के अनुरूप नहीं होगी।

 

आपदाओं से पहले स्वर्गारोहण क्या है?

 

आपदाओं से पहले स्वर्गारोहण का क्या मतलब है इसे समझने के लिए, आइए सबसे पहले इस बारे में बात करें कि स्वर्गारोहण क्या है। परमेश्वर के वचन कहते हैं: "'उठाया जाना' नीचे स्थानों से उँचे स्थानों पर ले जाया जाना नहीं है जैसा कि लोग कल्पना करते हैं। यह एक बहुत बड़ी ग़लती है। उठाया जाना मेरे द्वारा पूर्वनियत और चयनित किए जाने को संदर्भित करता है। यह उन सभी पर लक्षित है जिन्हें मैंने पूर्वनियत और चयनित किया है। जिन लोगों ने ज्येष्ठ पुत्रों की, मेरे पुत्रों की, या मेरे लोगों की हैसियत प्राप्त कर ली है, वे सभी ऐसे लोग हैं जो उठाए जा चुके हैं। यह लोगों की अवधारणाओं के साथ सर्वाधिक असंगत है। जिन लोगों का भविष्य में मेरे घर में हिस्सा है वे सभी ऐसे लोग हैं जो मेरे सामने उठाए जा चुके हैं। यह पूर्णतः सत्य है, कभी भी नहीं बदलता है, और किसी के द्वारा भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह शैतान के विरुद्ध जवाबी हमला है। जिस किसी को भी मैंने पूर्व नियत किया है वह मेरे सामने उठाया जाएगा।" अब, हम यह समझ सकते हैं कि स्वर्गारोहण का अर्थ यह नहीं है कि हम प्रभु से मिलने के लिए हवा में विलीन होंगे जैसा कि हमने कल्पना की है, वल्कि इसका मतलब है कि जब परमेश्वर काम करने के लिए धरती पर आते हैं और लोग उनकी आवाज सुनते हैं, तो वे उसे पहचान सकते हैं, स्वीकार कर सकते हैं और उनका अनुसरण कर सकते हैं। नया काम, और उससे पहले आओ। यह स्वर्गारोहण का सही अर्थ है। यह उसकी तरह है जब प्रभु यीशु व्यवस्था के युग की समाप्ति के अंत में छुटकारे का कार्य करने आए थे। जिन्होंने प्रभु के वचनों को सुना और उनकी वाणी को पहचाना उन्होंने दृढ़ता से माना कि वे मसीहा हैं, और इस प्रकार उन्होंने प्रभु के उद्धार को स्वीकार किया। इसका मतलब यह है कि वे परमेश्वर के सामने आ गए थे। पीटर, मैथ्यू, ल्यूक, और अन्य सभी जिन्होंने प्रभु के उद्धार को स्वीकार किया, उनका प्रभु के सामने स्वर्गारोहण हुआ।

 

तो, आपदाओं से पहले स्वर्गारोहण क्या है? बड़ी आपदाओं के आने से पहले परमेश्वर नया काम करते हैं। अगर हम परमेश्वर की आवाज़ को पहचानते हैं, अंतिम दिनों में उनके काम को स्वीकार करते हैं, और इस दौरान मेमने की चाल चलते हैं, तो हम वही लोग होंगे जिनका आपदाओं से पहले स्वर्गारोहण होगा। इस प्रकार, हमारे पास परमेश्वर द्वारा विजयी होने का अवसर है। हालाँकि, जो लोग अपनी धारणाओं और कल्पनाओं पर द्रढ रहते हैं और अंतिम दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने से इंकार करते हैं, पहले फरीसियों की तरह, वह न केवल आपदाओं से पहले स्वर्गारोहण में विफल होते हैं, बल्कि परमेश्वर के नए काम से वह सामने आ जाते हैं परमेश्वर की घृणा और अस्वीकृति के पात्र बनते हैं। वे केवल रो सकते हैं और आपदाओं में अपने दांतों को बजा सकते हैं।

 

आपदाओं से पहले हमारा स्वर्गारोहण कैसे हो सकता है?

 

प्रभु यीशु ने कहा, "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। प्रकाशन के अध्याय 2 से 3 में, कई बार इसकी भविष्यवाणी की गई है: "जिसके कान हों, वह सुन ले कि पवित्र आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।" और प्रकाशन 3:20 भी कहते हैं: "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ।" प्रभु यीशु के वचनों से, हम समझते हैं कि प्रभु अंतिम दिनों में आएंगे ताकि हम सभी सत्य का मार्गदर्शन कर सकें। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर कलीसिया से वचन कहेंगे, और अपने वचनों से हमारे दिल के द्वार पर दस्तक देंगे। बुद्धिमान कुंवारा होना ही हमारे लिए प्रभु का स्वागत करने का और आपदाओं से पहले परमेश्वर के सामने स्वर्गारोहण होने का एकमात्र तरीका है: हमें विनम्रतापूर्वक इसकी तलाश और जांच करनी चाहिए जब हम सुनें कि कुछ लोग गवाही दे रहे हैं कि प्रभु ने वचन कहें हैं, और इस बात पर ध्यान देखर पता लगाना चाहिएँ कि क्या वे शब्द प्रभु की आवाज़ हैं और क्या वे आधिकारिक और शक्तिशाली हैं। दूसरे शब्दों में, किसी व्यक्ति का परमेश्वर के सामने स्वर्गारोहण हो सकता है या नहीं यह इसकपर निर्भर करता है कि क्या वे परमेश्वर की आवाज़ को पहचान सकते हैं, क्या वे विनम्रतापूर्वक पवित्र आत्मा के वचनों को कलीसिया में सुन सकते हैं, और परमेश्वर का अनुसरण कर सकते हैं या नहीं। यह परमेश्वर के सिंहासन के सामने स्वर्गारोहण का यही मूल है, जैसे पतरस, जॉन, और अन्य सभी लोगों जिन्होंने परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार किया और अंत में उनके वचनों और काम से प्रभु की आवाज को पहचाना और मेमने की चाल चली क्योंकि उनमें विनम्रतापूर्वक तलाश करने का और प्रभु यीशु के उपदेशों को सुनने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए दिल था।

 

अब, यह अंतिम दिनों की अंतिम अवधि है। आपदाएं हर जगह फैल रही हैं—प्लेग, आग, बाढ़ आदि, यह प्रभु की उपस्थिति की तलाश करने के लिए आसन्न है, जो सीधे तौर पर हमारे आपदाओं से पहले स्वर्गारोहण से संबंधित हैं। इसलिए, हमें अब बुद्धिमान कुंवारा बनना चाहिए, यह पता लगाना चाहिएँ कि कौन सा कलीसिया प्रभु की वापसी की गवाही दे रहा है और पवित्र आत्मा ने कलीसिया से कहे वचनों का पता लगाना चाहिएँ। जब हम प्रभु की वापसी की खबर सुनते हैं, तो हम इसे अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुसार परिभाषित नहीं कर सकते, लेकिन इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्या यह सत्य की अभिव्यक्ति है या परमेश्वर की आवाज है। यह एकमात्र तरीका है जिससे हम स्वर्गारोहण के अवसर को छोड़ने से बच सकते हैं।

 

Translated by Mini Garg | MiniWrites.com 

 

स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

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