Posts tagged with "परमेश्वर की इच्छा"



"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21), "इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:45)।
प्रभु यीशु ने कहा था, "मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है" (मत्ती 4:17)।
परमेश्वर का प्रचुर प्रेम मनुष्य को अकारण ही प्रदान किया गया है, यह मनुष्य को घेरे रहता है; मनुष्य भोला-भाला एवं निर्दोष, भारमुक्त एवं लापरवाह है, वह आनन्दपूर्वक परमेश्वर की दृष्टि के अधीन जीवन बिताता है; परमेश्वर मनुष्य के लिए चिंता करता है, जबकि मनुष्य परमेश्वर की सुरक्षा एवं आशीष के अधीन जीवन बिताता है; हर एक चीज़ जिसे मनुष्य करता एवं कहता है वह परमेश्वर से घनिष्ठता से जुड़ा हुआ होता है और उससे अविभाज्य है।
पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को, क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की, इसमें न उसका स्वार्थ था, न योजना थी।
परमेश्वर चाहे जब सामना हो परमेश्वर के वचन से और काम से, तो ज़्यादा लोग पड़ताल करें उसकी पूरे ध्यान से, और इन अहम वचनों को देखें पवित्र हृदय से।
परमेश्वर चाहे जब सामना हो परमेश्वर के वचन से और काम से, तो ज़्यादा लोग पड़ताल करें उसकी पूरे ध्यान से, और इन अहम वचनों को देखें पवित्र हृदय से।
परमेश्वर कहते हैं, "परमेश्वर की दया और सहनशीलता को प्राप्त करना बिल्कुल भी कठिन नहीं है; वह एक व्यक्ति से सच्चे पश्चाताप की अपेक्षा करता है।"
गवाहियाँ · 03. February 2020
अगर हम अक्सर परमेश्वर के सामने नहीं आते और प्रार्थना नहीं करते हैं, तो हम आध्यात्मिक युद्ध की सत्यता को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाएंगे। अगर हम अपने विवेक में परमेश्वर के वचनों और सत्य पर भरोसा नहीं करते हैं, तो हम शैतान के प्रलोभनों का शिकार बन जायेंगे और अपनी गवाही खो देंगे। शैतान की चालों के आधार पर परमेश्वर की बुद्धि का प्रयोग किया जाता है – परमेश्वर हमें सत्य को समझने और गहन आध्यात्मिक युद्ध के माध्यम से विवेक हासिल करने में मदद करते हैं ताकि हम अपने जीवन में विकास कर सकें।
उसके न्याय और ताड़ना ने हमें वास्तव में परमेश्वर के आदर और मनुष्य के अपराध की असहष्णुता को पहचानना सिखाया है, जिसकी तुलना में हम बहुत अधम और अशुद्ध हैं। उसके न्याय और ताड़ना ने पहली बार हमें अनुभव कराया है कि हम कितने अभिमानी और आडंबरपूर्ण हैं, और कैसे मनुष्य कभी परमेश्वर की बराबरी नहीं कर सकता, और उसके समान नहीं बन सकता है।
ईसाई वीडियो · 17. January 2020
प्रभु यीशु ने कहा, "जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)। (© BSI) हम लोग स्वर्गिक पिता की इच्छा को पूरा करने वाले और परमेश्वर के आज्ञाकारी कैसे बनें, ताकि परमेश्वर हमें स्वर्ग के राज्य में ले जायें?

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