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"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।
परमेश्वर के प्रकटन के मायने हैं, अपने काम की ख़ातिर धरती पर उसका निजी आगमन। वो अपनी पहचान, अपने स्वभाव, अपने तरीके से, युग शुरु करने, युग का अंत करने, इंसानों के बीच आता है।
परमेश्वर रहता है हमारे बीच जैसे हो कोई साधारण मानव, जैसे हो अनुयायियों का एक सबसे महत्वहीन सदस्य, जैसे कोई एक साधारण विश्वासी। उसका है अपना स्वंय का काम, और उसके अपने लक्ष्य। और उसके पास है दिव्यता जो किसी मनुष्य के पास नहीं, पास नहीं।
अंत के दिनों में, परमेश्वर ने देहधारण किया है और सर्वशक्तिमान परमेश्वर बने हैं, जो अपना न्याय का कार्य करने के लिए आये हैं
जब आप बाइबल में श्रद्धा और विश्वास रखते हैं, तब यह सुनिश्चित है कि आप स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सफल होंगे। क्या ये सभी विचार परमेश्वर के कार्यों के अनुसार हैं?
मूवी क्लिप · 20. March 2020
धार्मिक जगत में बहुत से लोग सोचते हैं: "प्रभु यीशु का सूली पर यह कहना 'यह पूरा हुआ' साबित करता है कि मानव जाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य समाप्त हो गया था।
अगर करते हो स्वीकार तुम परमेश्वर के वचनों का न्याय और ताड़ना, तो कह दो धार्मिक तौर-तरीकों को अलविदा, परमेश्वर के नये वचनों को मापने के लिए न करना इस्तेमाल पुरानी धारणा, तभी तुम्हारे पास एक भविष्य होगा।
मूवी क्लिप · 16. March 2020
परमेश्वर कहते हैं: "और मामलों को अतिसरल नहीं समझना चाहिये। परमेश्वर का कार्य किसी साधारण कार्य के समान नहीं है"
बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों का लिखित दस्तावेज़ नहीं है।
मसीह के कथन · 03. March 2020
परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य के प्रत्येक चरण का एक व्यवहारिक महत्व है।

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